ना कभी इस कदर हवा भी हो,
यार मेरा कहीं जुदा भी हो !
मैंने होठो़ से ना कहा भी हो,
वो मगर दिल की सुनता भी हो !
उनकी ही खास ये अदा भी हो,
शोखी के साथ में हया भी हो !
लाल हुई हैं आँखे सुरज की,
रात को देर तक जगा भी हो !
मैं ही शायद निकल गया आगे,
वक़्त कुछ देर तक रुका भी हो !
जिन्दगीभर की है दुआ “सुधीर”,
आज हक में मेरे खुदा भी हो !
-सुधीर पटेल
શુક્રવાર, 23 ઑક્ટોબર, 2009
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