શુક્રવાર, 23 ઑક્ટોબર, 2009

હિન્દી ગઝલ

ना कभी इस कदर हवा भी हो,
यार मेरा कहीं जुदा भी हो !

मैंने होठो़ से ना कहा भी हो,

वो मगर दिल की सुनता भी हो !

उनकी ही खास ये अदा भी हो,

शोखी के साथ में हया भी हो !

लाल हुई हैं आँखे सुरज की,

रात को देर तक जगा भी हो !

मैं ही शायद निकल गया आगे,

वक़्त कुछ देर तक रुका भी हो !

जिन्दगीभर की है दुआ “सुधीर”,

आज हक में मेरे खुदा भी हो !
-सुधीर पटेल